भारत की विदेश नीति के संस्थापक कौन हैं? - bhaarat kee videsh neeti ke sansthaapak kaun hain?

भारतीय विदेश नीति के संस्थापक कौन थे इस विषय में आजके इस ब्लॉग में हम चर्चा करने वाले हैं ताकि आपको इसका अच्छे से जवाब मिल जाए और ब्लॉग के माध्यम से आपको भारतीय विदेश नीति के बारे में पूरी जानकारी यहां मिलने वाली है, इसलिए ब्लॉग को पूरा जरूर पढ़ें।

भारतीय विदेश नीति के संस्थापक कौन थे

मुझे इस ब्लॉग को लिखकर बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा है क्योंकि आज इस ब्लॉग के माध्यम से मैं आपको अपने भारत देश की विदेश नीति के बारे में जानकारी देने वाला हूँ। आजके इस ब्लॉग में हम आपको भारत की विदेश नीति के बारे में कुछ जानकारी देंगे जैसे भारतीय विदेश नीति की परिभाषा, भारत देश की विदेश नीति के बारे में और साथ ही इसके अलावा भी हम आपको और भी जानकारी यहां पर देने वाले हैं।

दोस्तों, भारतीय विदेश नीति के संस्थापक कौन थे इसके बारे में जानने से पहले आपको ये जानना होगा की विदेश नीति क्या होती है।

  • विदेश नीति किसे कहते हैं?
  • भारतीय विदेश नीति के संस्थापक कौन थे?
  • Conclusion

विदेश नीति किसे कहते हैं?

हर देश अपने राष्ट्रिय हितों की रक्षा करने के लिए और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बनाये रखने के लिए राज्यों द्वारा बनाई हुई स्वहितकारी रणनीतियों का समूह को ही विदेश नीति कहा जाता है, इसे विदेशी संबंधों की निति भी कहा जाता है। किसी भी देश की विदेश नीति दूसरे देशों के साथ आर्थिक, सामाजिक और राजनितिक विषयों पर पालन की जाने वाली नीतियों का एक समूह होता है।

भारत में भी विदेश नीति का निर्धारण किया गया है जिसका कार्य राष्ट्रिय हितों को सुरक्षित करना है। इसमें सभी तरह की सुरक्षाएं जैसे आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, राजनीतिक सुरक्षा और साइबर सुरक्षा शामिल है। विदेशी नीतियों की मदद से ही एक देश के सम्बन्ध दूसरे देशों से बनाये जाते हैं ताकि दोनों देशों का हित हो सके।

चलिए अब आपको भारतीय विदेश नीति के संस्थापक कौन थे और विदेश निति की परिभाषाओं के बारे में बताते हैं।

भारतीय विदेश नीति के संस्थापक कौन थे?

भारतीय विदेश नीति को परिभाषित करते हुए सर्वप्रथम मॉडलस्की ने कहा है की विदेश नीति समुदायों द्वारा विकसित उन क्रियाओं की व्यवस्था है जिसके द्वारा एक राज्य दूसरे राज्यों के व्यवहार को बदलने तथा उनकी गतिविधियों को अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण में ढ़ालने की कोशिश करता है। लेकिन ऐसा माना जाता है की विदेश नीति की परिभाषा को इतने सरल शब्दों में नहीं दर्शाया जा सकता है क्योंकि विदेश नीति का उद्देश्य न केवल किसी देश के व्यवहारों में परिवर्तन लाना है, बल्कि इसकी मदद से दूसरे देशों की गतिविधियों का नियंत्राण करना भी जरुरी हो जाता है।

फेलिमस ग्रास के अनुसार विदेश नीति की परिभाषा किसी राज्य के साथ कोई संबंध न होना या उसके बारे में कोई निश्चित नीति न होना भी विदेश नीति कहलाता है। इसके अनुसार किसी भी देश की के दो पहलु होते हैं जिसमें पहला सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक होता है। सकारात्मक रूप में यह दूसरे देशों के व्यव्हार का प्रयास करती है जबकि नकारात्मक रूप में यह दूसरे देशों के व्यव्हार को बदलने की कोशिश करती है।

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Conclusion

आजके इस ब्लॉग भारतीय विदेश नीति के संस्थापक कौन थे के माध्यम से आपने ये जाना की विदेश नीति किसे कहते हैं और इसे क्यों लागू किया जाता है। अगर आपको हमारा आज का ये ब्लॉग भारतीय विदेश नीति के संस्थापक कौन थे पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें ताकि वो भी विदेश नीति के बारे में जानकारी ले सके।

दोस्तों, अगर आपके मन में अब भी विदेश निति या भारतीय विदेश नीति के संस्थापक कौन थे से लेकर कोई सवाल या सुझाव है तो आप हमसे निचे कमेंट करके पूछ सकते हैं, हम आपके सवालों का जवाब जरूर देंगे।

भारत की विदेश नीति का जनक कौन है?

भारत की विदेश नीति के जनक/ रचनाकार जवाहर लाल नेहरू थे। कहा जाता है कि उन्होंने लगभग अकेले ही इस नीति दस्तावेज़ का प्रारूप बनाया था।

भारतीय विदेश नीति की स्थापना कब हुई?

नेहरु जी ने 1954 में पंचशील सिद्धान्त को भारत की विदेश नीति का महत्वपूर्ण सिद्धान्त घोषित 11 Page 12 12 भारत की विदेश नीति किया था । भारत आज भी उसी सिद्धान्त का पालन करता है ।

विदेश नीति का निर्माता कौन होता है?

बिस्मार्क की विदेश नीति का वर्णन जर्मनी के एकीकरण के पश्चात 1871 में बिस्मार्क की विदेश नीति का प्रमुख उद्देश्य यूरोप में जर्मनी की प्रधानता को बनाए रखना था।

भारत की विदेश नीति के सिद्धांत कौन से है?

भारत की विदेश नीति का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना, साम्राज्यवाद का विरोध करना, रंगभेद नीति के खिलाफ खड़ा होना, अंतरराष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण और राजनीतिक समाधान का प्रचार करना, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना, गुटनिरपेक्ष और गैर-प्रतिबद्ध रहना है।

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