भाकपा माले का स्थापना कब हुआ? - bhaakapa maale ka sthaapana kab hua?

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  • किसने क्या कहा

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    • अरुण जेटली(भाजपा)

      “प्रधानमंत्री की जाति कैसे प्रासंगिक है? उन्होंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। उन्होंने केवल विकासात्मक राजनीति की है। वह राष्ट्रवाद से प्रेरित हैं। जो लोग जाति के नाम पर गरीबों को धोखा दे रहे हैं वे सफल नहीं होंगे। ऐसे लोग जाति की राजनीति के नाम पर केवल दौलत बटोरना चाहते हैं। बीएसपी या आरजेडी के प्रमुख परिवारों की तुलना में प्रधानमंत्री की संपत्ति 0.01 फीसद भी नहीं है।„

    • दिग्विजय सिंह(कांग्रेस)

      “मैं सदैव देशहित, राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने वालों के साथ रहा हूं। मैं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों के हमेशा खिलाफ रहा हूं। मुझे गर्व है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मुझ में सिमी और बजरंग दल दोनों को बैन करने की सिफारिश करने का साहस था। मेरे लिए देश सर्वोपरि है, ओछी राजनीति नहीं।„

    • राहुल गांधी(कांग्रेस)

      “हमारे किसान हमारी शक्ति और हमारा गौरव हैं। पिछले पांच साल में मोदी जी और भाजपा ने उन्हें बोझ की तरह समझा और व्यवहार किया। भारत का किसान अब जाग रहा है और वह न्याय चाहता है„

    • नरेंद्र मोदी(भाजपा)

      “आज भारत दुनिया में तेजी से अपनी जगह बना रहा है, लेकिन कांग्रेस, डीएमके और उनके महामिलावटी दोस्त इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे मुझसे नाराज हैं„

    • राबड़ी देवी(राजद)

      “जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर लालू जी से मिलने उनके और तेजस्वी यादव के आवास पर पांच बार आए थे। नीतीश कुमार ने वापस आने की इच्छा जताई थी और साथ ही कहा था कि तेजस्वी को वो 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं और इसके लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में लालू उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दें।„

      भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की स्थापना अंग्रेजी शासनकाल में 1920 में ताशकंद में एमएन रॉय, अबनी मुखर्जी, मोहम्मद अली और कुछ अन्य नेताओं के सहयोग से हुई थी। भाकपा का भारत में पहला अधिवेशन 26 दिसंबर 1925 को कानपुर में हुआ था। पार्टी की वेबसाइट के मुताबिक इसकी स्थापना का वर्ष भी दिसंबर 1925 ही है। वर्तमान में इस दल के महासचिव सुधारकर रेड्‍डी हैं। इसका चुनाव चिह्न हसिया और बाली है।

      वर्ष 1957 के लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी सबसे बड़े विपक्षी दल के रूप में उभरी। 1964 में पार्टी में विभाजन हुआ और सीपीएम का गठन हुआ। सीपीआई ने 1970-77 के बीच कांग्रेस से तालमेल कर केरल में सरकार बनाई। इंदिरा गांधी के हाथों से सत्ता जाने के बाद पार्टी ने कांग्रेस का दामन छोड़कर सीपीएम से दोस्ती कर ली।

      मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी : भाकपा के विभाजन के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी (माकपा) का गठन 7 नवंबर 1964 को हुआ था। वर्तमान में इसके महासचिव सीताराम येचुरी हैं। इसका चुनाव चिह्न हसिया और हथोड़ा है। इसके संस्थापक ज्योति बसु और ईएमएस नंबूदरीपाद थे। बसु लंबे समय तक पश्चिम बंगाल के मुख्‍यमंत्री रहे।

      1971 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम को 25 सीटें मिलीं, जिनमें से 20 सीटें पार्टी ने पश्चिम बंगाल में हासिल कीं। इसी साल विधानसभा चुनाव में भी सीपीएम को पश्चिम बंगाल में सबसे ज़्यादा सीटें मिलीं। 1977 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने बहुमत हासिल किया और ज्योति बसु मुख्यमंत्री बने।

      शहर के चुन्ना भट्ठा चौक स्थित भाकपा माले पार्टी कार्यालय में शुक्रवार को भाकपा माले का स्थापना दिवस एवं ब्लादिमीर ई. लेनिन का जयंती समारोह मनाया गया। भाकपा माले के नेताओं ने बताया कि पार्टी स्थापना के 53 साल व लेनिन के जन्म के 153 साल हो गए हैं। स्थानीय पार्टी कार्यालय में भाकपा माले के संस्थापक चारू मजुमदार व दुनिया के मजदूरों के नेता लेनिन के तैल चित्र पर पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने पुष्प अर्पित किया और उन्हें सलामी दी। उनकी स्मृति में दो मिनट का मौन भी रखा। कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर सचिव रामकिशुन सिंह ने किया।

      मौके पर भाकपा माले के नेता अशोक सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि देश की जनता पर एक नई गुलामी थोपने की साजिश भाजपाईयों द्वारा किया जा रहा है। आजादी का नकली अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। कहा कि दरअसल आजादी के समय यह अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे और आज देश भक्त बनने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की आजादी में शहीद बाबू वीर कुंवर सिंह को अपनाने की कोशिश कर वास्तव में शहीदों को अपमान कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि आरएसएस व भाजपा का कोई भी नेता देश की आजादी दिलाने में शहीद नहीं हुआ है।

      अगर कोई हुआ है तो भाजपा के लोग बताएं।आरोप लगाया कि नकली राष्ट्र वादी अपने को ही असली दिखाने के लिए इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबू वीर कुंवर सिंह ,भगत सिंह, डॉ अंबेडकर के विचारों से भाजपा के लोगों का कोई लेना देना नहीं है। यह नकली राष्ट्रभक्त हैं। जनता समय पर जवाब देगी।

      कहा कि अंग्रेजी हुकूमत का साथ देने वाले डुमरांव महाराज की मूर्ति स्थापित करने वाले भी भाजपाई हीं हैं। अंग्रेजों ने बाबू कुंवर सिंह की संपत्ति डुमरांव नरेश को दे दी थी। मौके पर उपस्थित कामता यादव, निजामुद्दीन अंसारी, विष्णु चंद सिंह, मैनुद्दीन अंसारी, के के सिंह, सुल्तान, राजेश माली, सत्यनारायण चंद्रवंशी, सुदामा राम सहित कई लोगों ने संबोधित किया।

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