vyanjan kitne hote hain:हिंदी व्याकरण के इस अध्याय में हम लोग जानेंगे कि व्यंजन कितने होते हैं और व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं। पिछले अध्याय में हम लोग स्वर एवं स्वर के प्रकार के बारे में विस्तार से पढ़ चुके हैं ।
जैसा कि आप जानते होंगे कि वर्ण के दो भेद होते हैं स्वर तथा व्यंजन । यहां पर हम लोग व्यंजन एवं उसके प्रकार के बारे में विस्तार से समझेंगे ।
क्या आपको पता है कि व्यंजन किसे कहते हैं ? आइए समझते हैं ।
वे वर्ण जो स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं, व्यंजन कहलाते हैं। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में ‘अ’ स्वर मिला होता है । व्यंजनों का उच्चारण करते समय मुख से निकलने वाली वायु के मार्ग में रुकावट होती है। जैसे – क, च, ट इत्यादि।
प्रत्येक व्यंजन अ से मिलकर पूर्णता उच्चरित होता है , उसमे से अ को निकल देने से उसका रूप हलन्त के साथ हो जाता है. जैसे- क्, ख्, ग्, घ् आदि।
चलिए समझते हैं कि हिंदी में व्यंजन कितने होते हैं?
व्यंजन कितने होते हैं (vyanjan kitne hote hain)
वर्णमाला से स्वरों को निकाल देने पर शेष वर्ण क, ख, ग, घ….इत्यादि व्यंजन है। हिंदी में मुख्य रूप से व्यंजनों की संख्या 33 होती है। परंतु इसमें द्विगुण व्यंजन ड़, ढ़ को जोड़ देने पर इनकी संख्या 35 हो जाती है ।
इनके अलावा चार संयुक्त व्यंजन – क्ष, त्र, ज्ञ, श्र भी होते हैं।
इनके बारे में हम आगे विस्तार से पढेंगे।
आप ऊपर समझाये गये टॉपिक ‘व्यंजन कितने होते हैं’ तथा ‘व्यंजन की परिभाषा क्या है?’ को समझ ही चुके होंगे। चलिएअब समझते हैं कि हिंदी में व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं ?
व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं (vyanjan kitne prakar ke hote hain)
व्यंजन मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-
- स्पर्श व्यंजन
- अन्तस्थ व्यंजन
- ऊष्म व्यंजन
आइए व्यंजन(vyanjan in hindi) के प्रकार को यहां विस्तार से समझते हैं ।
स्पर्श व्यंजन (sparsh vyanjan)
जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ मुख के भीतर विभिन्न स्थानों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। स्पर्श व्यंजन क से लेकर म तक संख्या में 25 हैं, जिन्हें 5 वर्गों में बांटा गया है ।
- क वर्ग- क ख ग घ ङ
- च वर्ग- च छ ज झ ञ
- ट वर्ग- ट ठ ड ढ ण
- त वर्ग- त थ द ध न
- प वर्ग- प फ ब भ म
इनका उच्चारण क्रमशः कन्ठ, तालु, मूर्द्धा, दंत्य, ओष्ठ इत्यादि के जीभ के अग्र भाग के स्पर्श से होता है।
अन्तस्थ व्यंजन (antastha vyanjan)
जिन वर्णों का उच्चारण करते समय जीभ मुख के भीतरी भागों को मामूली सा स्पर्श करता है अर्थात जिनका उच्चारण स्वरों व व्यंजनों के बीच स्थित हो, उसे अंतस्थ व्यंजन कहते हैं । इनकी संख्या 4 होती है- य, र, ल, व ।
इन चार वर्णों में से य तथा व को अर्ध स्वर या संघर्ष हीन वर्ण के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह स्वरों की भांति उच्चरित किए जाते हैं ।
ऊष्म व्यंजन (ushm vyanjan)
जिन वर्णों का उच्चारण करते समय हवा मुख के विभिन्न भागो से रगड़ खाती हुई बाहर आती है तथा बोलने पर गर्मी उत्पन्न होती है उसे ऊष्म व्यंजन कहते हैं । ऊष्म व्यंजनों की संख्या 4 है – श,ष,स ह ।
चलिए हिंदी व्यंजन (hindi vyanjan) के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं को भी समझते लेते हैं जो व्यंजन के अंतर्गत आते हैं।
व्यंजन एवं उसके विभिन्र रुप (vyanjan in hindi)
उत्क्षिप्त व्यंजन (utkshipt vyanjan)
वे वर्ण जिनका उच्चारण जीभ के अग्र भाग के द्वारा झटके से होता है, उत्क्षिप्त व्यंजन कहलाते हैं। इनकी संख्या दो होती है – ड़ और ढ़। इन्हें द्विगुण व्यंजन भी कहते हैं ।यह व्यंजन उच्चारण की सुविधा के लिए ड, ढ के नीचे बिंदी (़) लगाकर बनाए जाते हैं । यह हिंदी के द्वारा विकसित किए गए व्यंजन है।
संयुक्त व्यंजन (sanyukt vyanjan)
संयुक्त व्यंजन दो या दो से अधिक व्यंजन वर्णों के योग से बनता है। इनकी संख्या चार होती है- क्ष, त्र, ज्ञ, श्र।
संयुक्त व्यंजन के उदाहण –
- क् + ष = क्ष
- त् + र = त्र
- ज् + ञ = ज्ञ
- श् + र = श्र
ड़, ञ, ण, ड़, ढ़ से कोई शब्द शुरू नही होता है।
अयोगवाह –
अनुस्वार (ं), विसर्ग (ः) को स्वरों के साथ रखा जाता है परन्तु ये स्वर ध्वनिय भी नही हैं। इनका उच्चारण व्यंजन की तरह स्वर की सहायता से होता है । ये उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन और लेखन की दृष्टि से स्वर होते हैं।
इनका जातीय योग न तो स्वर के साथ ना ही व्यंजन के साथ होता है इसलिये इसे अयोग कहा जाता है, फिर भी ये अर्थ वहन करते हैं इसलिये इसे अयोगवाह कहा जाता है।
विसर्ग (ः) –
विसर्ग (:) का प्रयोग स्वर के बाद किया जाता है। इसका प्रयोग प्रायः संस्कृत में मिलता है, फिर भी हिंदी में इसका प्रयोग हम लोग निम्न प्रकार से कर सकते हैं –
प्रायः, प्रातः, अंतः करण, दु:ख इत्यादि।
चन्द्रबिन्दु (ँ) –
यह हिंदी की अपनी धोनी है यह संस्कृत में नहीं पाई जाती। इसके उच्चारण के समय हवा मुंह और नाक दोनों से निकलती है। उदाहरण के रूप में – गावँ, पावँ, बाँध, चाँद इत्यादि।
हलन्त (्) –
जहां पर दो वर्णों को जोड़ने में असुविधा होती है, वहां हलंत चिन्ह लगा दिया जाता है। जैसे – बुड्ढ़ा, गड्ढ़ा इत्यादि।
रेफ –
‘र’ का चिन्ह जब व्यंजन वर्ण के ऊपर लगाया जाता है तो उसे रेफ कहते हैं । जैसे- गर्म, धर्म, वर्ण, अर्थ इत्यादि।
चन्द्र (ॅ)
कुछ शब्दों में इस चिन्ह का प्रयोग होता है। यह बिंदु रहित चंद्र है जिसका उच्चारण औ के समान होता है ( आ के समान नहीं) । प्राय अंग्रेजी शब्दों के साथ ही इसका प्रयोग होता है। जैसे – नाॅलेज, डॉक्टर, ऑफिस इत्यादि।
इस प्रकार हम लोगों ने हिंदी व्यंजन (hindi vyanjan) के कुछ महत्वपूर्ण प्रकार के बारे में समझा। चलिए हिंदी व्यंजन के वर्गीकरण को भी निम्न आधार पर समझते हैं।
व्यंजन का वर्गीकरण
हिंदी व्यंजन को निम्न आधार पर बांटा जा सकता है –
- उच्चारण स्थान के आधार पर –
स्वरयंत्र मुखी – ह
कंठ्य – क, ख, ग, घ, ङ
तालव्य – च, छ, ज, झ, ञ, य, श
मूर्धन्य – ट,ठ, ड, ढ, ण, ष
वत्सर्य – न,ल, र, स
दन्त्य – त, थ, द, ध
ओष्ठ्य – ….
दन्त्योष्ठ्य – व, फ
दव्योष्ठय – प, फ, ब, थ, म - उच्चारण प्रयत्न के आधार पर –
स्पर्श – क, ख, ग, घ, ट,ठ, ड, झ, त, थ, द, ध, प, फ, ब, भ
स्पर्श-संघर्षी – च, छ, ज, झ
संघर्षी – स, श, ष
पार्श्विक – ल
लुंठित – र
उत्क्षिप्त – ड़, ढ़
अन्तस्थ या अर्द्धस्वर– य, व
अनुनासिक – ङ, ञ, ण, न, म - उच्चारण प्रयत्न ( बाह्य प्रयत्न) के आधार पर –
घोष – जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरतंत्र में कंपन होता है उसे घोष या सघोष व्यंजन कहते हैं। (प्रत्येक वर्ग का तीसरा, चौथा, पांचवा व्यंजन सघोष व्यंजन होता है)
अघोष- जिन वर्णों के उच्चारण में स्वर तंत्र में कंपन ना हो उसे अघोष व्यंजन कहते हैं। (इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ग का पहला और दूसरा व्यंजन आता है)
अल्पप्राण – वर्णों के उच्चारण में जब वायु कम मात्रा में होती है तो उसे अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं। (इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा, पांचवा व्यंजन आता है)
महाप्राण – वर्णों के उच्चारण में जब वायु अधिक मात्रा में लगती है तो उसे महाप्राण व्यंजन कहते हैं। (इसमें प्रत्येक वर्गका दूसरा तथा चौथा व्यंजन आता है) - पेशीय तनाव के आधार पर –
कठोर – इसके अंतर्गत अघोष और महाप्राण व्यंजन आते हैं
शिथिल – इसके अंतर्गत घोष और अल्पप्राण व्यंजन आते हैं
इस प्रकार हम लोगों ने हिंदी व्यंजन के वर्गीकरण को समझा। आइये हम लोग हिंदी व्यंजन (hindi vyanjan) से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर समझते हैं जो अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं ।
हिंदी व्यंजन से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर [ FAQ ]
हिंदी में व्यंजन कितने होते हैं ?
हिंदी में मुख्य रूप से व्यंजनों की संख्या 33 होती है। यदि उसमें द्विगुण व्यंजन (ड़,ढ़) जोड़ दें तो इनकी संख्या 35 हो जाती है।
द्वित्व व्यंजन कौन से हैं?
जब दो समान व्यंजन एक साथ प्रयोग में लाए जाते हैं तो उन्हें द्वित्व व्यंजन कहते हैं। जैसे- पक्का, दत्ता, डब्बा आदि। व्यंजन के प्रत्येक वर्ग के दूसरे व चौथे वर्ग के वर्ण द्वित्व व्यंजन नहीं बनाते हैं।
वर्णमाला में अ से अः तक के वर्ण क्या कहलाते हैं?
हिंदी वर्णमाला में अ से अः तक के वर्ण को स्वर माला कहा जाता है।
अं और अः क्या है?
हिंदी में अं को अनुस्वार तथा अः को विसर्ग कहते हैं। यह दोनों वर्ण अयोगवाह कहलाते हैं।
य र ल व कौन से व्यंजन है?
हिंदी में य, र, ल, व को अंतस्थ व्यंजन कहा जाता है।
हिंदी के संयुक्त व्यंजन कौन से हैं?
हिंदी में संयुक्त व्यंजन की संख्या चार होती है। क्ष, त्र, ज्ञ, श्र हिंदी के संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं।
अनुस्वार कितने होते हैं?
हिंदी भाषा में ङ, ञ, ण, न, म वर्णों की जगह अनुस्वार (ं) का प्रयोग होता है। जैसे- हिन्दी – हिंदी, ठण्डा – ठंडा इत्यादि।
व्यंजन के कितने भेद होते हैं?
व्यंजन वैसे वर्ण होते हैं जो दूसरे वर्ण की सहायता से उच्चरित किए जाते हैं। हिंदी में व्यंजन के तीन भेद होते हैं – स्पर्श व्यंजन , अंतस्थ व्यंजन और ऊष्म व्यंजन ।
जो ध्वनियाँ न तो स्वर हो और न व्यंजन क्या कहलाती है?
ऐसी ध्वनियाँ जो ना तो स्वर और ना ही व्यंजन होती है उन्हें अयोगवाह कहा जाता है । हिन्दी वर्णमाला में इनका स्थान स्वरों के बाद और व्यंजनों से पहले निर्धारित किया गया है।
मैं आशा करता हूं कि आज के इस लेख व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं तथा हिंदी में व्यंजन कितने होते हैं (vyanjan kitne hote hain) को आप लोग अच्छे से समझ गये होंगे। इस लेख में हम लोगों ने व्यंजन की परिभाषा तथा उसके भेद के बारे में विस्तार से पढ़ा ।
इसके साथ साथ हम लोगों ने व्यंजन से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं तथा प्रश्न उत्तर भी देखे जो प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं।
उम्मीद है कि आपको हिंदी व्यंजन (vyanjan in hindi) पर लिखा हुआ यह लेख पसंद आया होगा । यदि आपको कोई भी पॉइंट समझ में नहीं आया हो तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।