महिलाओं में कई बार पेट में दर्द बच्चेदानी में सूजन (Uterus Swelling) के कारण भी होता है। जब भी मौसम में बदलाव आता है तो गर्भाशय में सूजन आ जाती है। ऐसे में महिलाओं को असहनीय पेट दर्द, बुखार, सिरदर्द और कमर दर्द का सामना करना पड़ता है। समय रहते इस समसया का इलाज न करने पर यह कैंसर जैसी बड़ी बीमारी का कारण भी बन सकती है। जिसे गर्भाशय फाइब्रॉएड कहते हैं। आज हम आपको गर्भाश्य की सूजन को कम करने के लिए कुछ नुस्खे बताएंगे पर उससे पहले जानते हैं गर्भाशय फाइब्रॉएड (Uterine Fibroids) क्या है और बच्चे के स्वास्थ्य के साथ ये कैसे जुड़ा हुआ है।
क्या है गर्भाशय फाइब्रॉएड?
फाइब्रॉएड एक नॉन-कैंसर ट्यूमर हैं, जो गर्भाशय की मांसपेशी की परतों पर बढ़ते हैं। इन्हें गर्भाशय फाइब्रॉएड (uterine-fibroid) के नाम से भी जाना जाता है। फाइब्रॉएड चिकनी मांसपेशियों और रेशेदार ऊतकों की विस्तृत रूप हैं। फाइब्रॉएड का आकार भिन्न हो सकता है, यह सेम के बीज से लेकर तरबूज जितना हो सकता है। लगभग 20 प्रतिशत महिलाओं को पूरे जीवन में फाइब्रॉएड कभी न कभी जरूर प्रभावित करता है। 30 से 50 के बीच आयु वर्ग की महिलाओं को फाइब्रॉएड विकसित होने की आशंका सबसे अधिक होती है। सामान्य वजन वाली महिलाओं की तुलना में अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में फाइब्रॉएड विकासित होने का उच्च जोखिम होता है।
बच्चेदानी में सूजन का कारण-Uterus swelling causes
- बदलता मौसम है जिम्मेदार
- अधिक दवाओं के सेवन से
- ज्यादा व्यायाम करने से
- भूख से ज्यादा खाना खाने से
- तंग और अधिक कसे हुए कपड़े पहनने पर
- प्रसव के दौरान सावधानी न बरतने पर
- अधिक यौन संबंध बनाने के कारण
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बच्चेदानी की सूजन के लक्षण-Uterus swelling symptoms
- पेट की मांसपेशियों में कमजोरी
- पेट दर्द, गैस तथा कब्ज होना
- पीठ में दर्द, बुखार
- प्राइवेट पार्ट में खुजली या जलन
- महामारी के दौरान ठंड लगना
- यौन संबंध के दौरान दर्द
- महामारी के दौरान असहनीय दर्द
- लगातार पेशाब आना
- लूज मोशन, उल्टी
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बच्चेदानी की सूजन कम करने के घरेलू उपाय-Uterus swelling ka gharelu ilaj
- सोंठ और नीम के पत्ते को उबालकर काढ़ा पीने से ये रोग सही होता है। इसके अलावा इसे रोजाना प्राईवेट पार्ट में लगाने से भी बच्चेदानी से सूजन दूर होती है।
- बच्चेदानी की सूजन को दूर करने के लिए हल्दी भी बहुत असरकार है। दूध में हल्दी मिलाकर पीने से बच्चेदानी की सूजन दूर होती है।
- अंरडी के पत्तों को पानी में उबालकर छान लें। कॉटन में इसे भिगोकर मुंह के अंदर रखें। 3-4 दिन ऐसा करने से पेट में मौजूद सभी कीटाणु मर जाएंगे और सूजन की समस्या दूर हो जाएगी।
- हालांकि वैसे तो बादाम कई रोगों को दूर करता है। लेकिन बच्चेदानी की सूजन को दूर करने के लिए भी बादाम बहुत असरकार है। रात को बादाम को दूध के साथ भिगो दें। सुबह उठकर बादाम समेत दूध पी लें। सूजन से छुटकारा मिलेगा।
अच्छी डाइट लगभग सभी बीमारियों का काल है। हरी पत्तेदार और फ्रेश सब्जियां व फलों के सेवन से भी बच्चेदानी की सूजन से राहत मिलती है। तो, बच्चेदानी के सूजन से बचाव के लिए अच्छी डाइट और अच्छी लाइफस्टाइल फॉलो करें।
बहुत-सी महिलाओं को आपने पेट के निचले हिस्से में दर्द रहने की शिकायत करते सुना होगा। दरअसल, पेट का ये दर्द बच्चेदानी की सूजन के कारण भी हो सकता है। महिला को इसके चलते पेट में, कमर में और सिर में दर्द रहता है बुखार होने लगता है। ये समस्या महिला को बांझपन, पेल्विक इंफेक्शन, यूट्रस में फोड़े व पस जमा कर सकते हैं और अगर ये समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो बच्चेदानी का कैंसर तक भी हो सकता है जिसे यूट्रस फाइब्रॉएड कहते हैं। चलिए आज आपको गर्भाश्य में सूजन होने के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में बताते हैं।
गर्भाश्य फाइब्राइड है क्या?
ये समस्या अब महिलाओं को आम ही सुनने को मिल रही हैं। पूरे जीवन में लगभग 20 प्रतिशत महिलाएं कभी ना कभी फाइब्राइड से जरूर प्रभावित होती है और 30 से 50 की उम्र में महिलाएं ज्यादा इसकी शिकार होती हैं। जिन महिलाओं का वजन ज्यादा होता है उन्हें भी इसका रिस्क ज्यादा रहता है।
पेट के निचले हिस्से में दर्द रहना
बहुत ज्यादा डिस्चार्ज और पीरियड्स के दिनों में ब्लीडिंग होना
थकान और कमजोरी महसूस होना
गैस, एसिडिटी और कब्ज रहना
प्राइवेट पार्ट में खुजली और जलन
पीरियड्स के दौरान ठंड लगना और दर्द होना
इंटरकोर्स के दौरान दर्द होना
तेज बुखार होना
बार-बार यूरिन आना, ये सारे संकेत बच्चेदानी के सूजन के हो सकते हैं।
लेकिन ये सूजन होती क्यों हैं इसकी वजह भी जानिए
बार-बार गर्भपात होने से
अबॉर्शन करवाने से
ज्यादा दवाइयों का सेवन करने से
भूख से ज्यादा खाना खाने से
टाइट कपड़े पहनने से
इंटरकोर्स एक्टिविटी ज्यादा होने पर
ज्यादा एक्सरसाइज करने से
जिन महिलाओं का वजन अधिक हैं उनकी बच्चेदानी में सूजन हो सकती हैं।
कैसे रखें बचाव?
-इनसे बचने के लिए रैगुलर स्क्रीनिंग करवानी चाहिए वहीं सुरक्षित इंटरकोर्स करना चाहिए।
-बच्चेदानी की सूजन होने पर डाक्टर आपको कुछ एंटीबॉयोटिक्स दवाइयां दे सकते हैं ताकि इंफैक्शन को रोका जा सकें। वहीं कुछ मामलों में एवेक्युएशन, नीडल एस्पिरेशन, सर्जरी आदि की भी जरूरत पड़ सकती है।
-एवेक्युएशन में डिलिवरी या एबॉर्शन के बाद गर्भ में छूट गए उत्तकों को हटाया जाता है जबकि नीडल एस्पिरेशन की जरूरत तब पड़ती हैं जब पेट में बने फोड़े को निकालना हो। एक सूई आपके पेट या योनि के माध्यम से अंदर रखी जा सकती है और जिससे पस को हटाया जाता है और समस्या बहुत अधिक बढ़ गई हो तो सर्जरी का सहारा लिया जाता है।
आप कुछ घरेलू नुस्खों की मदद से भी इस सूजन को कम कर सकते हैं...
आपकी डाइट का बहुत बड़ा रोल है सिर्फ इस बीमारी में ही नहीं लगभग हर बीमारी में। डाइट अच्छी लेंगे तो बीमारियां आस-पास भी नहीं फटकेंगी। हरी पत्तेदार, ताजी सब्जियां व फल जरूर खाएं। एक मुट्ठीभर सूखे मेवे, खूब सारा पानी पीएं। योग, सैर और एक्सरसाइज जरूर करें।
1. सौंठ और नीम के पत्ते को उबालकर काढ़ा पीने से सूजन कम होती है। हल्दी वाला दूध भी बच्चेदानी की सूजन दूर करता है।
2. बच्चेदानी की सूजन को दूर करने के लिए भी बादाम बहुत फायदेमंद है। रात को बादाम को दूध के साथ भिगो दें। सुबह उठकर बादाम समेत दूध पी लें।