घर में किसी के आने पर सबसे पहले हम प्रेमपूर्वक उसका स्वागत करेंगे। आदर से उन्हें बैठने के लिए कहेंगे। फिर सादरपूर्वक उनका हाल-चाल पूछकर जलपान करवाएँगे।
यह भी मेहमान के आने पर निर्भर करता है कि वह किस समय आता है। यदि सुबह का समय होगा तो चाय-नाश्ता करवाएँगे, दोपहर के समय उसे प्रीतिभोज व रात्रि मैं मेहमान आए तो रात्रिभोज करवाना हमारा कर्तव्य बनता है।
Solution : घर में मेहमान आने पर सबसे पहले मैं उन्हें अभिवादन करूँगा। इसके बाद मैं उनका परिचय जानकर ड्राइंग रूम में बैठाऊँगा। उनसे बात-चीत करूँगा। उनके पूछे जाने पर पिताजी के घर पर होने न होने के बारे में बताऊँगा। इसके साथ ही उन्हें जल लाकर दूँगा। कुछ देर बैठने के बाद उनके लिए अल्पाहार लेकर आऊँगा। इसके बाद उनके आने के उद्देश्य के बारे में पूछूगा। यदि उनकी मुझसे मदद हो सकती है, तो मैं अवश्य करूँगा अन्यथा पिताजी के आने का इंतजार करने के लिए उनसे विनम्रतापूर्वक कहूँगा। यदि वे बैठना चाहेंगे तो ठीक है, नहीं तो उन्हें घर के दरवाजे तक छोड़कर उन्हें अभिवादन करके .फिर पधारना. कहकर वापस आ जाऊँगा।
आपको छुट्टियों में किसके घर जाना सबसे अच्छा लगता है? वहाँ की दिनचर्या अलग कैसे होती है? लिखिए।
छुट्टियों में मुझे अपनी बड़ी बहन के घर जाना सबसे अच्छा लगता है। मैं अपनी दीदी से बेहद प्यार करता हूँ। अपने घर में तो यही दिनचर्या होती है कि सुबह उठो, तैयार होकर विद्यालय जाओ, घर आकर खाना खाओ, फिर थोड़ी दर सो जाओ। शाम को एक घंटा टी.वी. देखो या खेलकर पड़ने बैठो। रात को पिताजी के आते ही खाना खाकर थोड़ी दर टहलो और फिर सो जाओ। दीदी के घर तो सुबह आराम से उठो। फिर थोड़ी दर टी.वी. देखो और नहा धोकर तैयार हो जाओ। मनपसंद नाश्ता करने के बाद आसपास के दोस्तों के साथ मजे करो। दोपहर को खाना खाओ और टी.वी. देखो, सो जाओ या मनपसंद कंप्यूटर गेम खेलो। मुझे तो इंटरनेट पर नई-नई जानकारियाँ प्राप्त करना भी बहुत अच्छा लगता है। साथ ही मेरी दीदी भी मुझ इसमें काफी मदद करती हैं। शाम को जीजा जी के साथ घूमने जाना तो मुझे बेहद पसंद है। वे रोज मुझे नई-नई जगह ले जाते हैं व अच्छी-अच्छी चीजें खिलाते हैं। रात को गर्मागर्म खाना खाओ और टहलने के बाद सो जाओ। न कोई पढ़ाई की चिंता न माता-पिताजी की रोक-टोक इसीलिए तो सबसे अच्छा लगता है मुझे दीदी का घर।