इसे सुनेंरोकेंव्यंग्य के मुखौटे, सामाजिक भाव के मुखौटे, मिथकों के मुखौटे, मनोविज्ञान के मुखौटे। अल्फ़्रेड जैरी के नाटक कभी देखिए, अजीब से तरबूजाकार गोल-मटोल मुखौटे पहने लोग, जो मनुष्य के व्यंग्य भाव को दिखाते हैं। यह मुखौटा उस व्यक्ति का भाव है, जो उसके चेहरे पर छुपा है।
मुखौटे से हम क्या क्या कर सकते हैं?
इसे सुनेंरोकेंमुखौटा एक प्रकार से किसी भी व्यक्ति के चहरे को ढाँकने की वस्तु है। इसके विभिन्न उद्देश्य हो सकते है। जैसे कि नृत्य के प्रकारों को नृतक काफ़ी लगन से उसे पहनते हैं। कुछ मुखौटे पारम्परिक रूप से पहने जाते हैं, जैसे कि रेड इंडियन समुदाय के लोग पहनते हैं।
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मुखौटा नृत्य कहाँ है?
इसे सुनेंरोकेंमुखौटा युद्ध ओर मुखोटा युद्ध नृत्य अरुणाचल प्रदेश का प्रसिद्ध लोकनृत्य है।
मुखौटा पहनकर कौन सा नृत्य किया जाता है?
इसे सुनेंरोकेंमुखौटा नृत्य का सम्बन्ध कथकली नृत्य-शैली से है | कथकली नृत्य केरल में प्रचलित है।
हमारे राज्य के एक प्रमुख आदिवासी लोक नृत्य जिसमें मुखौटा लगाया जाता है उसका नाम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंचूंकि लोक नृत्य के इस रूप की कल्पना पश्चिम बंगाल राज्य के पुरुलिया जिले में की जाती है, इसलिए इसे बंगाल में पुरुलिया छाऊ के नाम से जाना जाता है। यह लोक नृत्य विभिन्न राज्य में प्रचलित अन्य छऊ नृत्यों से काफी भिन्न है। यह नृत्य एक मुखौटा नृत्य है जो केवल बंगाल में पुरुष नर्तकों द्वारा किया जाता है।
कौन सा लोक नृत्य गरीबों की कथकली के नाम से जाना जाता है?
इसे सुनेंरोकेंनिम्नलिखित में किस नृत्य को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने गरीबों की कथकली कहा था? Notes: ओटामथुल्लाल केरल का नृत्य है। इसे 18वीं सदी में कुंचन नाम्बियार ने स्थापित किया गया था।
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आदिवासी अंचलों में प्रसिद्ध नृत्य कौन कौन से हैं?
धोबी-नृत्य धोबी जाति द्वारा मृदंग, रणसिंगा, झांझ, डेढ़ताल, घुँघरू, घंटी बजाकर नाचा जाने वाला यह नृत्य जिस उत्सव में नहीं होता, उस उत्सव को अधूरा माना जाता है। .
आदिवासी नृत्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंउन्डरिया नृत्य (Undariya Dance) – यह नृत्य आंध्र प्रदेश स्थित हैदराबाद की गोंड जनजाति द्वारा किया जाता है। सरहुल नृत्य (Sarahul Dance) – सैनिक प्रकार के इस नृत्य को छोटा नागपुर क्षेत्र में रहने वाले ओरांव जाति द्वारा किया जाता है। योद्धा व ढाल नृत्य (Yoddha and Dhaal Dance) – असम के नागाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य।
कथकली के कलाकार कौन है?
इसे सुनेंरोकेंरामनाट्टम की अभिनय रीति, वेश-भूषा तथा वादन संप्रदाय को पहले-पहल परिष्कृत करने वाले वेट्टत्तु राजा थे। यह ‘वेट्टत्तु संप्रदाय’ नाम से प्रख्यात हुआ। कोट्टयम तंपुरान (18 वीं शती) ने चार प्रसिद्ध आट्टक्कथाओं की रचना की और कथकली के अभिनय में नाट्यशास्त्र के आधार पर परिवर्तन किया।
छत्तीसगढ़ में प्रचलित लोक नृत्य
- सुआ नृत्य - दीपावली से कुछ दिन पुर से दीपावली की रात्रि तक महिलाओ और किशोरियो द्वारा है।
- चंदेनी नृत्य -पुरुष द्वारा विशेष वेश-भूषा में नृत्य पस्तुत किया जाता है।
- राउतनाचा - दीपावली के अवसर पर राउत समुदाय के द्वारा किया जाता है।
- पन्थी नाच - सतनामी समाज का पारंपरिक नृत्य है।
- करमा नृत्य - कई जनजातियों द्वारा यह नृत्य किया जाता है।
- सैला - शुद्धतः जनजातिय नृत्य है। इसे डण्डा नाच के नाम से भी जाना जाता है।
- परघोनी नृत्य - बैगा जनजाति का विवाह नृत्य है।
- बिलमा नृत्य - गोंड व बैगा जनजाति के स्त्री-पुरुष द्वारा दशहरा के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य है।
- फाग नृत्य - गोंड और बैगा जनजाति के स्त्री-पुरुष द्वारा होली के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य है।
- थापटी नृत्य - कोरकू जनजाति का परंपरागत नृत्य है।
- ककसार/ककसाड़ - मुरिया जनजाति द्वारा साल में एक बार किया जाता है।
- गेंड़ी/गेड़ी नृत्य - मुरिया जनजाति का विशेष नृत्य है।
- दोरला नृत्य - दोरला जनजाति द्वारा पर्व-त्यौहार, विवाह आदि अवसरों पर किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य है।
- सरहुल नृत्य - यह एक अनुष्ठानिक नृत्य है जिसे उरांव एवं मुण्डा जनजाति द्वारा किया जाता है।
- कोल दहका नृत्य - कोल जनजाति का पारंपरिक नृत्य है। इसे कोलहाई नाच भी कहते है।
- दशहरा नृत्य - बैगा जनजाति द्वारा विजयादशमी से प्रारम्भ किया जाता है।
- अटारी नृत्य - बघेलखंड के भूमिया आदिवासियों का प्रमुख नृत्य है।
- हुलकी नृत्य - मुरिया जनजाति के स्त्री-पुरुष द्वारा।
- ढांढल नृत्य - कोरकू जनजाति में पचलित नृत्य है।
- राई नृत्य - बुंदेलखंड में पचलित विवाह एवं बच्चे के जन्म पर किया जाने वाला नृत्य है।
- बार नृत्य - छत्तीसगढ़ कंवर समुदाय के द्वारा की जाती है। इस समूह नृत्य की खासियत है कि पांच वर्षो के अंतराल में माघ के महीने में इसका आयोजन किया जाता है।
- दमकच / डोमकच - डोमकच या दमकच नृत्य कोरवा (korwa) आदिवासी युवक-युवतियों के द्वारा किया जाता है। यह नृत्य प्राय: यह नृत्य विवाह आदि के शुभ अवसर पर किया जाता है। यही कारण है कि इस नृत्य को "विवाह नृत्य" भी कहा जाता है।
- माओ पाटा - माओ पाटा नृत्य मुरिया/मुड़िया जनजातियों के द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में नाटक के भी लगभग सभी तत्व विद्यमान हैं। माओपाटा का आयोजन घोटुल के प्रांगण में किया जाता है जिसमे युवक और युवतियां सम्मिलित होते हैं।
- गौर नृत्य -माड़िया जनजाति का अत्यंत लोकप्रिय नृत्य है।
- परब नृत्य - धुरवा जनजाति के लोगो के द्वारा किया जाता है।
- भड़म नृत्य- इसे भढ़नी या भंगम नृत्य भी कहता है। भरिया जनजाति के द्वारा विवाह के अवसर पर किया जाता है।
- सैतम नृत्य- यह भारिया जनजाति के महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
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