16 वत्त आयग के अध्यक्ष

2021-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट

रिपोर्ट का सारांश

वित्त आयोग एक ऐसी संवैधानिक संस्था है जिसे केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संबंधों पर सुझाव देने के लिए राष्ट्रपति द्वारा गठित किया जाता है। 15वें वित्त आयोग (चेयर:एन. के. सिंह) को दो रिपोर्ट सौंपनी थीं। पहली रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए सुझाव हैं, और इसे 1 फरवरी, 2020 को संसद के पटल पर रखा गया था। दूसरी रिपोर्ट में 2021-26 की अवधि के लिए सुझाव हैं और इसे 1 फरवरी, 2021 को संसद के पटल पर रखा गया। 2021-26 की रिपोर्ट के मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा

2021-26 के लिए केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 41% सुझाया गया है जोकि 2020-21 के समान ही है। यह 14वें वित्त आयोग (2015-20) के सुझाव से कम है जिसने 42% के हिस्से की बात कही थी। इस 1% का समायोजन नए गठित जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के लिए किया गया है जिन्हें केंद्र से धनराशि दी जाएगी। 

हस्तांतरण का मानदंड

तालिका 1 में यह प्रदर्शित किया गया है कि आयोग ने केंद्रीय करों में प्रत्येक राज्य के हिस्से को निर्धारित करने के लिए किन मानदंडों को इस्तेमाल किया है और प्रत्येक मानदंड को कितना मान (यानी वेट) दिया गया है। 2021-26 के लिए राज्यों के बीच केंद्रीय करों के वितरण के मानदंड 2020-21 की अवधि के समान ही हैं। हालांकि आय के अंतर और कर प्रयासों को गिनने की संदर्भ अवधि अलग है (2020-21 के लिए 2015-18 और 2021-26 के लिए 2016-19)। इसलिए प्रत्येक राज्य का हिस्सा बदल सकता है। अनुलग्नक की तालिका 2 में दिखाया गया है कि केंद्र द्वारा हस्तांतरित करों में प्रत्येक राज्य का कितना हिस्सा है। हम यहां कुछ संकेतकों को स्पष्ट कर रहे हैं।

तालिका 1: हस्तांतरण का मानदंड

मानदंड

14विआ

2015-20

15विआ

2020-21

15विआ2021-26

आय का अंतर

50.0

45.0

45.0

क्षेत्र

15.0

15.0

15.0

जनसंख्या(1971)

17.5

-

-

जनसंख्या (2011)#

10.0

15.0

15.0

जनसांख्यिकीय प्रदर्शन

-

12.5

12.5

वन क्षेत्र

7.5

-

-

वन और पारिस्थितिकी

-

10.0

10.0

कर और राजकोषीय प्रयास*

-

2.5

2.5

कुल

100

100

100

Note: #14th FC used the term demographic changewhich was defined as Population in 2011.  *The report for 2020-21 used the term tax effort, the definition of the criterion is same.
Sources: Reports of the 14th and 15th Finance Commissions; PRS.

  • आय का अंतर: सर्वाधिक आय वाले राज्य से किसी राज्य की आय की दूरी (यानी अंतर), उस राज्य का इनकम डिस्टेंस या आय का अंतर कहलाता है। 2016-17 और 2018-19 के बीच तीन वर्षों के दौरान राज्य की प्रति व्यक्ति जीएसडीपी के आधार पर उस राज्य की आय की गणना की गई है। जिन राज्यों की प्रति व्यक्ति आय कम है, उन राज्यों को बड़ा हिस्सा दिया जाएगा ताकि विभिन्न राज्यों के बीच बराबरी कायम की जा सके।
     
  • जनसांख्यिकीय प्रदर्शन: आयोग के संदर्भ की शर्तों में यह अपेक्षित है कि सुझावों के लिए 2011 की जनसंख्या के आंकड़ों को इस्तेमाल किया जाए। उसी हिसाब से आयोग ने 2011 की जनसंख्या के आंकड़ों को अपने सुझावों के लिए इस्तेमाल किया। जनसांख्यिकीय प्रदर्शन के मानदंडों को राज्यों के जनसंख्या नियंत्रण प्रयासों को पुरस्कृत करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। निम्न प्रजनन अनुपात वाले राज्यों को इस मानदंड पर अधिक अंक मिलेंगे।
     
  • वन क्षेत्र और पारिस्थितिकी: सभी राज्यों के कुल सघन वन क्षेत्र में किसी राज्य के वन क्षेत्र के हिस्से की गणना करके इस मानदंड पर पहुंचा जाता है।
     
  • कर और राजकोषीय प्रयास: कर संग्रह की उच्च क्षमता वाले राज्यों को इस मानंदड के जरिए पुरस्कृत किया जाता है। इसकी गणना 2016-17 और 2018-19 के दौरान औसत प्रति व्यक्ति स्वयं कर राजस्व और औसत प्रति व्यक्ति राज्य जीडीपी के अनुपात के आधार की जाती है।   

अनुदान

2021-26 के दौरान केंद्रीय स्रोतों से निम्नलिखित अनुदान दिए जाएंगे (अधिक विवरण के लिए अनुलग्नक की तालिका 3 और 4 देखें):

  • राजस्व घाटा अनुदान: 17 राज्यों को राजस्व घाटा समाप्त करने के लिए 2.9 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे।
     
  • क्षेत्र विशिष्ट अनुदान: निम्नलिखित आठ क्षेत्रों के लिए राज्यों को 1.3 लाख करोड़ रुपए के क्षेत्र विशिष्ट अनुदान दिए जाएंगे: (i) स्वास्थ्य, (ii) स्कूली शिक्षा, (iii) उच्च शिक्षा, (iv) कृषि सुधारों का कार्यान्वयन, (v) पीएमजीएसवाई सड़कों का रखरखाव, (vi) ज्यूडीशियरी, (vii) सांख्यिकी और (viii) आकांक्षी जिले और ब्लॉक्स। हर क्षेत्र के अनुदान प्रदर्शन आधारित होंगे।
     
  • राज्य विशिष्ट अनुदान: आयोग ने 49,599 करोड़ रुपए के राज्य विशिष्ट अनुदानों का सुझाव दिया है। ये अनुदान निम्नलिखित क्षेत्रों के लिए दिए जाएंगे: (i) सामाजिक जरूरतें, (ii) प्रशासन और इंफ्रास्ट्रक्चर, (iii) जलापूर्ति और सैनिटेशन, (iv) सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्मारकों का संरक्षण, (v) उच्च लागत वाले भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर, और (vi) पर्यटन। आयोग ने राज्य विशिष्ट और क्षेत्र विशिष्ट अनुदानों के उपयोग की समीक्षा और निगरानी के लिए राज्य के स्तर पर एक उच्च स्तरीय कमिटी बनाने का सुझाव दिया।
     
  • स्थानीय निकायों के लिए अनुदान: स्थानीय निकायों को कुल 4.36 लाख करोड़ रुपए के अनुदान दिए जाएंगे (इसके अनुदान प्रदर्शन आधारित होंगे) जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ग्रामीण स्थानीय निकायों को 2.4 लाख करोड़ रुपए, (ii) शहरी स्थानीय निकायों को 1.2 लाख करोड़ रुपए, और (iii) स्थानीय सरकारों के जरिए स्वास्थ्य के लिए 70,051करोड़ रुपए। स्थानीय निकायों के अनुदान पंचायत के सभी तीनों स्तरों- गांवों, ब्लॉक्स और जिलों को उपलब्ध कराए जाएंगे और ये निम्नलिखित के लिए दिए जाएंगे: (i) ग्रामीण उपकेंद्रों और प्राथिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसीज़) को स्वास्थ्य और वेलनेस केंद्रों (एचडब्ल्यूसीज़) में बदलना, (ii) प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा गतिविधियों हेतु डायग्नॉस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी सहयोग, और (iii) एचडब्ल्यूसीज़, उप केंद्रों, पीएचसीज़ और ब्लॉक स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को सहयोग।
     
  • राज्यों को स्थानीय निकायों हेतु अनुदान (स्वास्थ्य संबंधी अनुदान के अतिरिक्त) देने के लिए जनसंख्या और क्षेत्र को क्रमशः 90% और 10% का वेटेज दिया जाएगा। आयोग ने इन अनुदानों (स्वास्थ्य अनुदान को छोड़कर) को प्रदान करने के लिए कुछ शर्तें निर्दिष्ट की हैं। प्रवेश स्तर के मानदंडों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पब्लिक डोमेन में अनंतिम और ऑडिटेड एकाउंट प्रकाशित करना, और (ii) राज्यों द्वारा संपत्ति कर के लिए न्यूनतम फ्लोर रेट्स का निर्धारण, और संपत्ति कर के संग्रह में सुधार (शहरी निकायों के लिए 2021-22 के बाद अतिरिक्त शर्त)। अगर राज्य वित्त आयोग (राज्य स्तरीय) नहीं बनाता और उसके सुझावों के आधार पर काम नहीं करता तो मार्च 2024 के बाद उसे स्थानीय निकायों के अनुदान नहीं दिए जाएंगे।
     
  • आपदा जोखिम प्रबंधन: आयोग ने आपदा प्रबंधन फंड्स के लिए केंद्र और राज्यों के बीच मौजूदा कॉस्ट शेयरिंग पैटर्न को बरकरार रखने का सुझाव दिया। केंद्र और राज्यों के बीच कॉस्ट शेयरिंग पैटर्न इस प्रकार है: (i) पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10, और (ii) अन्य राज्यों के लिए 75:25राज्य आपदा प्रबंधन फंड्स का कॉरपस 1.6 लाख करोड़ रुपए है (केंद्र का हिस्सा 1.2 लाख करोड़ रुपए है)।

राजकोषीय योजनाएं

  • राजकोषीय घाटा और ऋण स्तर:आयोग ने सुझाव दिया कि केंद्र 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 4% करे। राज्यों के लिए उसने राजकोषीय घाटा सीमा (जीएसडीपी का %) को (i) 2021-22 में 4% (ii) 2022-23 में 3.5%, और (iii) 2023-26 में 3% करने का सुझाव दिया। अगर राज्य पहले चार वर्षों (2021-25) के दौरान उधारी की निर्दिष्ट सीमा का उपयोग नहीं कर पाया तो वह बाद के वर्षों (2021-26 की अवधि में शेष) में उपयोग न हुई राशि हासिल कर सकता है।
     
  • अगर राज्य बिजली क्षेत्र के सुधार करते हैं तो पहले चार वर्षों (2021-25) के दौरान उन्हें जीएसडीपी के 0.5% मूल्य की अतिरिक्त वार्षिक उधारी लेने की अनुमति होगी। इन सुधारों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऑपरेशनल नुकसान कम करना, (ii) राजस्व अंतराल में कमी, (iii) प्रत्यक्ष लाभ अंतरण को अपनाने से नकद सबसिडी के भुगतान में कमी, और (iv) राजस्व के प्रतिशत के रूप में टैरिफ सबसिडी में कमी।
     
  • आयोग ने कहा कि केंद्र और राज्यों के लिए राजकोषीय घाटे के लिए सुझाए गए मार्ग से कुल देनदारियों में कमी आएगी: (i) 2020-21 में केंद्र की देनदारी जीडीपी के62.9% से कम होकर 2025-26 में जीडीपी का 56.6% हो जाएगी, और (ii) राज्य की कुल देनदारियां 2020-21 में जीडीपी के 33.1% से कम होकर 2025-26 में 32.5% हो जाएंगी। आयोग ने निम्नलिखित के लिए हाई पावर्ड इंटरगवर्नेंटल ग्रुप के गठन का सुझाव दिया: (i) राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) एक्ट की समीक्षा, (ii) केंद्र और राज्यों के लिए नए एफआरबीएम फ्रेमवर्क सुझाना और उसके कार्यान्वयन पर नजर रखना।
     
  • राजस्व जुटाना: आय और परिसंपत्ति आधारित कराधान को मजबूत किया जाना चाहिए। आय कर के लिए वेतन से प्राप्त आय पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने के लिए टीडीएस/टीसीएस (स्रोत पर टैक्स कटौती और संग्रह) से संबंधित प्रावधानों के कवरेज को बढ़ाया जाना चाहिए राज्य स्तर पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की क्षमता का पूरा दोहन नहीं किया गया है। कंप्यूटरीकृत संपत्ति रिकॉर्ड्स को ट्रांजैक्शंस के रजिस्ट्रेशन के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए और संपत्तियों की मार्केट वैल्यू को आधार बनाया जाना चाहिए। राज्य सरकारों को संपत्ति के वैल्यूएशन के तरीके को आसान बनाना चाहिए।
     
  • जीएसटी: जीएसटी में मौजूद इंटरमीडिएट इनपुट्स और फाइनल इनपुट्स के बीच इंवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को हल किया जाना चाहिए। जीएसटी दरों की राजस्व तटस्थता को बरकरार रखा जाना चाहिए जो कई दर संरचनाओं से प्रभावित हो रही है। चूंकि कई वस्तुओं को ऊपर से नीचे के स्लैब में खिसका दिया गया है। 12% और 18% की दरों को मिलाकर दर संरचना को रैशनलाइज किया जाना चाहिए। राज्यों को जीएसटी बेस को विस्तार देने और अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रयास करने चाहिए। 
     
  • वित्तीय प्रबंधन पद्धतियां: सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन के लिए व्यापक फ्रेमवर्क विकसित किया जाना चाहिए। एक स्वतंत्र राजकोषीय परिषद बनाई जानी चाहिए जिसके पास केंद्र और राज्यों के रिकॉर्ड्स का आकलन करने का अधिकार हो। परिषद का सिर्फ काम सिर्फ सलाह देना हो। केंद्र और राज्यों, दोनों के लिए मानक आधारित एकाउंटिंग और वित्तीय रिपोर्टिंग को चरणबद्ध तरीके से अपनाने के लिए एक समयबद्ध योजना बनाई जानी चाहिए, जब तक उपार्जन आधारित एकाउंटिंग को अंततः अपनाने पर विचार किया जा रहा है। केंद्र और राज्यों को ऑफ बजट फाइनांसिंग का सहारा नहीं लेना चाहिए और न ही व्यय को वित्त पोषित करने के लिए दूसरे गैर पारदर्शी तरीके इस्तेमाल करने चाहिए। आकस्मिक देनदारियों की रिपोर्टिंग के लिए मानकीकृत फ्रेमवर्क तैयार किया जाना चाहिए। केंद्र और राज्यों को मैक्रोइकोनॉमिक और राजकोषीय पूर्वानुमान की शुद्धता और निरंतरता में सुधार करने का प्रयास करना चाहिए।
     
  • राज्यों को अपने राजकोषीय दायित्व कानूनों में संशोधन करना चाहिए ताकि केंद्र के कानून से संगति बनी रहे, खासकर ऋण की परिभाषा के संबंध में। राज्यों के पास वेज़ और मीन्स एडवांस के अतिरिक्त अल्पावधि की उधारियों तथा भारतीय रिजर्व बैंक से ओवरड्राफ्ट सुविधा के लिए और रास्ते होने चाहिए। राज्य अपने ऋण कार्यक्रमों को कुशलता से संचालित करने के लिए स्वतंत्र ऋण प्रबंधन इकाई बना सकते हैं।

अन्य सुझाव

  • स्वास्थ्य:राज्यों को 2022 तक स्वास्थ्य पर अपने व्यय को बढ़ाकर 8% करना चाहिए। 2022 तक कुल स्वास्थ्य व्यय में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा व्यय का हिस्सा दो तिहाई होना चाहिए। स्वास्थ्य में केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) को इतना फ्लेक्सिबल होना चाहिए कि राज्य उन्हें अनुकूल बना सकें और उनमें इनोवेशन कर सकें। स्वास्थ्य में सीएसएस पर फोकस इनपुट की बजाय आउटपुट पर होना चाहिए। अखिल भारतीय मेडिकल और स्वास्थ्य सेवा स्थापित की जानी चाहिए।
     
  • रक्षा और आंतरिक सुरक्षा की फंडिंग: मॉर्डनाइजेशन फंड फॉर डिफेंस एंड इंटरनल सिक्योरिटी (एमएफडीआईएस) नामक डेडिकेटेड नॉन-लैप्सेबल फंड बनाया जाना चाहिए जोकि रक्षा और आंतरिक सुरक्षा की बजटीय जरूरतों और पूंजीगत परिव्यय के आबंटन के बीच के अंतर को मुख्य रूप से दूर करे। पांच वर्षों (2021-26) के लिए इस फंड का अनुमानित कॉरपस 2.4 लाख करोड़ रुपए होगा। इसमें से 1.5लाख करोड़ रुपए भारत के समेकित कोष से हस्तांतरित किए जाएंगे। शेष राशि दूसरे उपायों से उगाही जाएगी, जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपकरणों का विनिवेश और रक्षा क्षेत्र की जमीन का मुद्रीकरण।
     
  • केंद्रीय प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस): सीएसएस के वार्षिक आबंटन के लिए एक सीमा निर्धारित की जाए जिससे नीचे सीएसएस की फंडिंग रोक दी जाए (सीएसएस को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के लिए जिसकी उपयोगिता की अब कोई जरूरत नहीं है या उसका परिव्यय महत्वहीन है)। सभी सीएसएस का थर्ड पार्टी मूल्यांकन एक निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। फंडिंग पैटर्न को पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ाया जाना चाहिए और इसे स्थिर रखा जाना चाहिए।

अनुलग्नक

तालिका 2: केंद्र द्वारा हस्तांतरित करों में प्रत्येक राज्य का हिस्सा (100 में से)

राज्य

14विआ

2015-20

15 विआ

2020-21

15 विआ2021-26

आंध्र प्रदेश

4.305

4.111

4.047

अरुणाचल प्रदेश

1.370

1.760

1.757

असम

3.311

3.131

3.128

बिहार

9.665

10.061

10.058

छत्तीसगढ़

3.080

3.418

3.407

गोवा

0.378

0.386

0.386

गुजरात

3.084

3.398

3.478

हरियाणा

1.084

1.082

1.093

हिमाचल प्रदेश

0.713

0.799

0.830

जम्मू एवं कश्मीर

1.854

-

-

झारखंड

3.139

3.313

3.307

कर्नाटक

4.713

3.646

3.647

केरल

2.500

1.943

1.925

मध्य प्रदेश

7.548

7.886

7.850

महाराष्ट्र

5.521

6.135

6.317

मणिपुर

0.617

0.718

0.716

मेघालय

0.642

0.765

0.767

मिजोरम

0.460

0.506

0.500

नागालैंड

0.498

0.573

0.569

ओड़िशा

4.642

4.629

4.528

पंजाब

1.577

1.788

1.807

राजस्थान

5.495

5.979

6.026

सिक्किम

0.367

0.388

0.388

तमिलनाडु

4.023

4.189

4.079

तेलंगाना

2.437

2.133

2.102

त्रिपुरा

0.642

0.709

0.708

उत्तर प्रदेश

17.959

17.931

17.939

उत्तराखंड

1.052

1.104

1.118

पश्चिम बंगाल

7.324

7.519

7.523

कुल

100

100

100

Sources: Reports of 14th and 15th Finance Commission; PRS.

तालिका 3: 2021-26 के लिए अनुदान (पांच वर्ष) (करोड़ रुपए)

अनुदान

राशि

राजस्व घाटा अनुदान

 2,94,514

स्थानीय सरकारों के अनुदान

 4,36,361

शहरी स्थानीय निकाय

1,21,055

ग्रामीण स्थानीय निकाय

2,36,805

स्वास्थ्य अनुदान

70,051

अन्य अनुदान *

8,450

आपदा प्रबंधन अनुदान

 1,22,601

क्षेत्र विशिष्ट अनुदान

 1,29,987

स्वास्थ्य

31,755

स्कूली शिक्षा

4,800

उच्च शिक्षा

6,143

कृषि सुधारों का कार्यान्वयन

45,000

पीएमजीएसवाई सड़कों का रखरखाव

27,539

ज्यूडीशियरी

10,425

सांख्यिकी

1,175

आकांक्षी जिले और ब्लॉक्स

3,150

राज्य विशिष्ट अनुदान

49,599

कुल

10,33,062

Note: *Other grants to local bodies comprise grants for: (i) incubation of new cities (Rs 8,000 crore), and National Data Centre (Rs 450 crore).

Source: Report of the 15th Finance Commission for 2021-26; PRS.

तालिका 4: 2021-26 के लिए राज्यों के सहायतानुदान का विवरण (करोड़ रुपए में)

राज्य

राजस्व घाटा अनुदान

स्थानीय निकायों को अनुदान

आपदा प्रबंधन

क्षेत्र विशिष्ट अनुदान

राज्य विशिष्ट अनुदान

स्वास्थ्य अनुदान

ग्रामीण स्थानीय निकाय

शहरी स्थानीय निकाय

स्वास्थ्य

पीएमजीएसवाई सड़कें

सांख्यिकी

ज्यूडीशियरी

उच्च शिक्षा

कृषि

आंध्र प्रदेश

30,497

2,601

10,231

5,231

6,183

877

344

19

295

250

4,209

2,300

अरुणाचल प्रदेश

0

259

900

459

1,382

133

1,508

49

20

48

107

400

असम

14,184

1,484

6,253

3,197

4,268

2,161

3,103

57

610

171

748

1,375

बिहार

0

6,017

19,561

9,999

7,824

3,223

1,694

77

960

483

1,720

2,267

छत्तीसगढ़

0

1,799

5,669

2,900

2,387

588

911

54

200

146

917

1,660

गोवा

0

167

293

149

63

56

0

5

15

50

63

700

गुजरात

0

3,341

12,455

6,367

7,316

1,070

330

51

310

298

2,818

2,860

हरियाणा

132

1,617

4,929

2,520

2,715

695

128

40

300

146

1,696

2,003

हिमाचल प्रदेश

37,199

521

1,673

855

2,258

377

2,222

21

50

70

247

1,420

झारखंड

0

2,370

6,585

3,367

3,138

1,014

966

48

275

179

677

1,300

कर्नाटक

1,631

2,929

12,539

6,409

4,369

1,233

398

45

295

299

2,290

6,000

केरल

37,814

2,968

6,344

3,242

1,738

607

113

20

405

181

1,086

1,100

मध्य प्रदेश

0

4,902

15,527

7,938

10,059

2,340

2,109

102

690

349

4,587

1,765

महाराष्ट्र

0

7,067

22,713

11,611

17,803

2,710

613

63

1,240

520

3,285

2,750

मणिपुर

9,796

234

690

353

234

191

1,193

28

30

54

101

900

मेघालय

3,137

311

711

363

363

187

544

23

30

54

86

800

मिजोरम

6,544

166

362

185

259

115

546

14

15

48

86

700

नागालैंड

21,249

303

486

249

228

153

372

23

10

51

124

525

ओड़िशा

0

2,454

8,800

4,498

8,865

962

1,949

45

425

218

1,271

1,775

पंजाब

25,968

2,131

5,410

2,764

2,736

902

230

43

145

156

1,966

1,545

राजस्थान

14,740

4,423

15,053

7,696

8,186

1,186

1,618

57

460

332

3,301

2,322

सिक्किम

1,267

111

165

84

279

100

484

7

5

45

41

500

तमिलनाडु

2,204

4,280

14,059

7,187

5,637

1,002

506

47

250

347

2,632

2,200

तेलंगाना

0

2,228

7,201

3,682

2,483

624

255

46

245

189

1,665

2,362

त्रिपुरा

19,890

453

746

381

378

265

502

17

85

55

228

875

उत्तर प्रदेश

0

9,716

38,012

19,432

10,685

6,150

1,465

114

1,825

893

5,334

3,495

उत्तराखंड

28,147

797

2,239

1,145

5,178

728

2,322

25

70

83

277

1,600

पश्चिम बंगाल

40,115

4,402

17,199

8,792

5,587

2,106

1,114

35

1,165

428

3,438

2,100

कुल

 2,94,514

70,051

 2,36,805

 1,21,055

 1,22,601

31,755

27,539

1,175

10,425

6,143

45,000

49,599

Note: Break-up of following grants is not available in the above table: (i) Sector-specific grants for school Education (Rs 4,800 crore) and aspirational districts and blocks (Rs 3,150 crore), and (ii) grants to local bodies for incubation of new cities (Rs 8,000 crore), and National Data Centre (Rs 450 crore). 
Sources: Report of the 15th Finance Commission for 2021-26; PRS.

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वर्तमान में भारत के वित्त आयोग के अध्यक्ष कौन है?

15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन. के. सिंह है।

भारत में 15वें वित्त आयोग के सचिव कौन है?

एनके सिंह - भारत के 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद मेहता - सचिव

वित्त आयोग कौन गठित करता है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद-243(आई) तथा 243(वाई) में आयोग के गठन के लिये दी गई व्यवस्थानुसार राज्य वित्त आयोगों का गठन प्रत्येक पाँच वर्ष पर संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा किया जाता है।

भारत में वित्त आयोग की स्थापना कब हुई थी?

प्रथम वित्त आयोग 1951 में गठित किया गया था और अब तक पंद्रह वित्त आयोग गठित किये जा चुके हैं।

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